Anushasan ka Mahatva Essay| अनुशासन का महत्व कितना जरूरी है?
अनुशासन का महत्त्व & विद्यार्थी और अनुशासन
” अनुशासन है प्राण प्रगति का, इसका पालन करना।
संकट हों कितने ही पथ में, तून हिचकना, डरना।”
[ रूपरेखा- (1) प्रस्तावना, (2) अनुशासन का महत्त्व, (3) विद्यार्थी और अनुशासन, (4) अनुशासन की शिक्षा, (5) अनुशासन के लाभ, (6) अनुशासनहीनता की हानियाँ, (7) विकास का आधार, (8) उपसंहार।]
प्रस्तावना- Anushasan ka Mahatva सृष्टि में सूर्य, चन्द्रमा, तारे, ऋतु, प्राप्तः, संध्या आदि को नियमित रूप से आते-जाते देखकर स्पष्ट हो जाता है कि सृष्टि के मूल में एक सुनियोजित व्यवस्था कार्य कर रही है। ये सभी तत्व अनुशासन में बँधकर चलते हैं। यही कारण है कि उनके कार्य-कलापों में किंचित मात्र अन्तर नहीं हो पाता है। यह प्रकृति ही हमें अनुशासन में रहने की प्रेरणा देती है। ‘अनुशासन’ शब्द का अर्थ है-नियम के पीछे चलना। अनुशासन का अर्थ परतन्त्रता कदापि नहीं है। समय, स्थान तथा परिस्थितियों के अनुरूप सामान्य नियमों का पालन करना ही अनुशासन कहलाता है।
Anushasan ka Mahatva अनुशासन का महत्त्व – अनुशासन का जीवन में विशेष महत्त्व है। समस्त प्रकृति एकअनुशासन में बँधकर चलती है, इसलिए उसके किसी भी क्रियाकलाप में बाधा नहीं आती है। दिन-रात नियमित रूप से आते रहते हैं। इससे स्पष्ट है कि अनुशासन के द्वारा ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। अनुशासन के मार्ग से भटक जाने पर व्यक्ति चरित्रहीन, दुराचारी, पतित तथा निन्दनीय हो जाता है। समाज में उसका कोई सम्मान नहीं रहता है। अनुशासन के अभाव में उसका तन तथा मन दोनों दूषित हो जाते हैं।
विद्यार्थी और अनुशासन- Anushasan ka Mahatvaविद्यार्थी-जीवन मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला है। शिक्षा काल में निर्मित विद्यार्थी ही भावी नागरिक बनेगा। विद्यार्थी अनुशासन में रहकर ही स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवहार तथा आचार प्राप्त कर सकता है। नियमित रूप से अध्ययन करना, विद्यालय जाना, व्यायाम करना, गुरुजनों से सद्व्यवहार करना ही विद्यार्थी जीवन का अनुशासन है। इसके बिना विद्यार्थी का निर्माण नहीं हो सकता है। इसका निर्माता गुरु है, क्योंकि –
“गुरु कुम्हार सिष कुम्भ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़े खोट ।
अन्तर हाथ सहारि दें, बाहर बाहै चोट ॥”
अनुशासन की शिक्षा – Anushasan ka Mahatva बच्चे का प्रथम सम्पर्क अपने माता-पिता तथा परिवार से होता है। अन्य प्रकार की शिक्षा के समान अनुशासन की शिक्षा भी बच्चे को यहीं से प्राप्त होती है। इसके बाद विद्यालय तथा बाह्य समाज से अनुशासन की शिक्षा मिलती है। अनुशासन का पालन आत्म-नियन्त्रण तथा भय से होता है। आत्म-नियन्त्रण से होने वाला अनुशासन स्थिर माना गया है। इसकी शिक्षा संस्कारों से मिलती है। दूसरे प्रकार का अनुशासन बाहर के आतंक के कारण होता है। यह शासन चलाने का प्रकार है, अनुशासन का नहीं। सरकार, समाज आदि के कानून से डरकर आदमी गलत कार्य नहीं करता है, किन्तु कानून का पालन भी वास्तव में आत्मानुशासन से प्रेरित व्यक्ति ही करते हैं। भयभीत होने वाले का अनुशासन में रहना अस्थायी ही होता है।
अनुशासन से लाभ – अनुशासन के द्वारा ही सफल जीवनयापन किया जा सकता है। अध्ययन, व्यवहार, खेलकूद, व्यायाम, शासन आदि आत्मानुशासन के उपकरण हैं। इन्हीं के द्वारा तन तथा मन स्वस्थ रहते हैं, अनुशासन के कारण ही मनुष्य उच्च आदर्शों की ओर बढ़ता है, अनुशासन के द्वारा ही ज्ञान प्राप्ति सम्भव है। पवित्र मन तथा बुद्धि से ही ज्ञान का संचार होता है। चरित्र के निर्माण में अनुशासन का विशेष योग रहता है।Anushasan ka Mahatva व्यक्ति अनुशासन में रहकर ही संस्कार एवं सभ्यता प्राप्त करता है। ये सभी बातें सत्संगति से आती हैं। अनुशासन के द्वारा व्यक्ति स्वार्थ, मोह, क्षमता आदि पर नियन्त्रित कर सकता है। चोरी, डकैती, बेईमानी, झूठ, छल-कपट आदि से भी अनुशासन ही बचाता है। इसके पालन से मनुष्य में परोपकार, सहिष्णुता, कर्त्तव्यनिष्ठा,सद्व्यवहार आदि का विकास होता है।
अनुशासन की आवश्यकता- जीवन की सफलता का मूलाधर अनुशासन है। समस्त प्रकृति अनुशासन में बँधकर गतिवान रहती है। सूर्य, चन्द्रमा, नक्षत्र, सागर, नदी, झरने, गर्मी, सर्दी, वर्षा एवं वनस्पतियाँ आदि सभी अनुशासित हैं।
अनुशासन सरकार, समाज तथा व्यक्ति तीन स्तरों पर होता है। सरकार के नियमों का पालन करने के लिए पुलिस, न्याय, दण्ड, पुरस्कार आदि की व्यवस्था रहती है। ये सभी शासकीय नियमों में बँधकर कार्य करते हैं। सभी बुद्धिमान व्यक्ति उन नियमों पर चलते हैं तथा जो उन नियमों का पालन नहीं करते हैं, वे दण्ड के भागी होते हैं।
Anushasan ka Mahatva सामाजिक व्यवस्था हेतु धर्म, समाज आदि द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करने वाले व्यक्ति सभ्य, सुशील तथा विनम्र होते हैं। जो लोग अनुशासनहीन होते हैं, वे असभ्य एवं उद्दण्ड की संज्ञा से अभिहित किये जाते हैं तथा दण्ड के भागी होते हैं। अनुशासन न मानने वाले व्यक्ति को समाज में हीन तथा बुरा माना जाता है। व्यक्ति स्वयं अनुशासित रहे तो उसका जीवन स्वस्थ, स्वच्छ तथा सामर्थ्यवान बनता है। वह स्वयं तो प्रसन्न रहता है, दूसरों को भी अपने अनुशासित होने के कारण प्रसन्न रखता है।
ऋषि-महर्षि अध्ययन के बाद अपने शिष्यों को विदा करते समय अनुशासित रहने पर बल देते थे। वे जानते थे कि अनुशासित व्यक्ति ही किसी उत्तरदायित्व को वहन कर सकता है। अनुशासित जीवन व्यतीत करना वस्तुतः दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाना है। समाज ने जो नियम बनाये हैं, वे वर्षों के अनुभव के बाद सुनिश्चित किये गये हैं। भारतीय मुनियों ने अनुशासन को अपरिहार्य माना, ताकि व्यक्ति का समुचित विकास हो सके।
अनुशासन के लाभ- अनुशासन के असीमित लाभ हैं। प्रत्येक स्तर की व्यवस्था के लिए अनुशासन आवश्यक है। राणा प्रताप, शिवाजी, सुभाषचन्द्र बोस, महात्मा गाँधी आदि ने इसी के बल पर सफलता प्राप्त की। इसके बिना बहुत हानि होती है। सन् 1857 में अँग्रेजों के विरुद्ध लड़े गये स्वतन्त्रता संग्राम की असफलता का कारण अनुशासनहीनता थी। 31 मई को सम्पूर्ण उत्तर भारत में विद्रोह करने का निश्चय था, लेकिन मेरठ की सेनाओं ने 10 मई को हो विद्रोह कर दिया, जिससे अनुशासन भंग हो गया। इसका परिणाम सारे देश को भोगना पड़ा। सब जगह एक साथ विद्रोह न होने के कारण फिरंगियों ने विद्रोह को कुचल दिया।
Anushasan ka Mahatva राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने शान्तिपूर्वक विशाल अँग्रेजी साम्राज्यवाद की नींव हिला दी थी। उसका एकमात्र कारण अनुशासन की भावना थी। महात्मा गाँधी की आवाज पर सम्पूर्ण देश सत्याग्रह के लिए चल देता था। अनेकानेक कष्टों को भोगते हुए भी देशवासियों ने सत्य और अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा। पहली बार जब कुछ सत्याग्रहियों ने पुलिस के साथ मारपीट तथा दंगा कर डाला, तो महात्माजी ने तुरन्त सत्याग्रह बन्द करने की आज्ञा देते हुए कहा कि “अभी देश सत्याग्रह के योग्य नहीं है। लोगों में अनुशासन की कमी है।” उन्होंने तब तक पुनः सत्याग्रह प्रारम्भ नहीं किया, जब तक उन्हें लोगों के अनुशासन के बारे में विश्वास नहीं हो गया। अतएव अनुशासन द्वारा लोगों में विश्वास की भावना पैदा की जाती है। अनुशासन विश्वास का एक महामन्त्र है।
सेना की सफलता का आधार अनुशासन होता है। सेना और भीड़ में अन्तर ही यह है कि भीड़ में कोई अनुशासन नहीं होता, जबकि सेना अनुशासित होती है। नेपोलियन, समुद्रगुप्त तथा सिकन्दर आदि महान् कहे जाने वाले सेनानायकों ने जो विजय पर विजय प्राप्त कीं, उनके मूल में उनकी सेनाओं का अनुशासित होना ही था।
Anushasan ka Mahatvaयातायात, अध्ययन, वार्तालाप आदि में भी अनुशासन आवश्यक है। रेल ड्राइवर सिग्नल होने पर ही गाड़ी आगे बढ़ाता है। अनुशासन के द्वारा ही एक अध्यापक पचास-साठ छात्रों की कक्षा को अकेले पढ़ाता है। राष्ट्रपति से लेकर निम्नतम कर्मचारी तक सारी शासन-व्यवस्था अनुशासन से ही संचालित रहती है। शरीर में किंचित अव्यवस्था होते ही रोग लग जाता है।
छात्रानुशासन- अनुशासन विद्यार्थी जीवन का तो अपरिहार्य अंग है। चूँकि विद्यार्थी देश के भावी कर्णधार होते हैं, देश का भविष्य उन्हीं पर अवलम्बित होता है। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे स्वयं अनुशासित, नियन्त्रित तथा कर्त्तव्यपरायण होकर देश की जनता का मार्गदर्शन करें, उसे अन्धकार के गर्त से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाएँ। अतः उनके लिए अनुशासित होना आवश्यक है। अतः अनुशासन ही सफलता की कुंजी है।
अनुशासनहीनता की हानियाँ – अनुशासनहीनता एक कोढ़ है। यह समाज को नष्ट कर देती है। दुर्भाग्यवश आज अनुशासनहीनता बढ़ रही है। विद्यालय, छात्रावास, बाजार, घर, समाज आदि सभी में अनुशासन का अभाव दिखायी पड़ता है। धर्म तथा समाज के नियन्त्रण समाप्त हो रहे हैं। साथ ही शासन का प्रभुत्व भी घट रहा है। प्रशासन में अधिकारी, कर्मचारी आदि स्वयं अनुशासनहीन हो गये हैं। समय तथा आवश्यकता के अनुरूप उत्तरदायित्व के निर्वाह की भावना नहीं रह गयी है। फलस्वरूप अपराध, अन्याय, लड़ाई-झगड़े तथा शत्रुता के कारण सर्वत्र बिखराव आ रहा है।
अनुशासन विकास का आधार – अनुशासन में रहकर ही शक्ति का संचार होता है। जो राष्ट्र जितना अधिक अनुशासित होता है, वह उतना ही अधिक विकास कर जाता है। अनुशासित कल-कारखाने, विद्यालय, कृषि, मजदूरी, नौकरी आदि सभी के द्वारा ही देश तथा समाज को सुखी एवं सम्पन्न बनाया जा सकता है। दूसरे राष्ट्रों से सुरक्षित रहने के लिए भी अनुशासन आवश्यक है। सेना अनुशासन में रहकर ही युद्ध कर पाती है, विद्यार्थी अनुशासन में रहकर ही ज्ञान प्राप्त कर पाता है तथा व्यापारी एवं उद्योगपति भी अनुशासन का पालन करके ही अपना उत्तरदायित्व निभा पाता है।
उपसंहार- बिना अनुशासन के मानव जीवन का कोई भी क्रिया-कलाप नहीं चल सकता है। विद्यार्थी जीवन ही तो इसकी धुरी है। इसलिए जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व स्वीकार किया गया है।
अनुशासन के प्रकार क्या हैं?
अनुशासन के विभिन्न लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार बताए गए हैं। नीचे इसके प्रकार दिए गए हैं-
- सकारात्मक अनुशासन: सकारात्मक अनुशासन व्यवहार के सकारात्मक बिन्दुओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह व्यक्ति में एक तरह का सकारात्मक विचार उत्पन्न करता है, कि कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्कि उसके व्यवहार अच्छे या बुरे होते हैं। किसी बच्चे के माता–पिता उन्हें समस्या सुलझाने के कौशल सिखाते हैं और साथ ही उन्हें विकसित करने के लिए उनके साथ काम करते हैं। माता–पिता अपने बच्चे को अनुशासन सिखाने के लिए शिक्षण संस्थाओं में भेजते हैं। यह सभी पहलू सकारात्मक अनुशासन को बढ़ावा देते हैं। और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- नकारात्मक अनुशासन: नकारात्मक अनुशासन वह अनुशासन है जिसमें यह देखा जाता है, कि कोई व्यक्ति क्या गलत कर रहा है, जिससे उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किसी व्यक्ति को आदेश देना एवं उन्हें नियमों और कानूनों को पालन करने के लिए मजबूर करना नकारात्मक अनुशासन होता है।
- सीमा आधारित अनुशासन: सीमा आधारित अनुशासन सीमाएं निर्धारित करने और नियमों को स्पष्ट करने के लिए होता है। इस अनुशासन के पीछे एक सरल सिद्धांत है, कि जब एक बच्चे को यह पता होता है, कि यदि वे सीमा से बाहर जाते हैं, तो इसका परिणाम क्या होता है, तो ऐसे बच्चे आज्ञाकारी होते हैं। उनका व्यवहार सकारात्मक होता हैं और वे खुद को हमेशा सुरक्षित महसूस करते हैं।
- व्यवहार आधारित अनुशासन: व्यवहार में संशोधन करने से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही परिणाम होते हैं। अच्छा व्यवहार प्रशंसा या पुरस्कार के साथ आता है, जबकि दुर्व्यवहारों के कारण नकारात्मक परिणामों को हवा मिलती है, इसलिए इससे काफी नुकसान भी होता है।
- आत्म अनुशासन: आत्म अनुशासन का अर्थ है, अपने मन और आत्मा को अनुशासित करना जो बदले में हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। इसके लिए हमें अपने आप को अनुशासित होने के लिए प्रेरित करना होगा. यदि हमारा दिमाग अनुशासित रहेगा, तो हमारा शरीर अपने आप ही अच्छे से कार्य करेगा।
Anushasan Ka Mahatva Par Nibandh (100 शब्द)
अनुशासन का महत्व पर 100 शब्दों पर निबंध इस प्रकार लिख सकते हैंः
हर एक मनुष्य के जीवन में अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है, जिस व्यक्ति में अनुशासन नहीं होता वह अनुशासनहीन कहलाता है। जीवन में सफल व्यक्ति बनने के लिए अनुशासन का महत्व होना बहुत ही आवश्यक है। जो भी कार्य हम सही समय पर करते हैं और जिस ढंग से करते हैं उस पर से हमारा अनुशासन का पता चलता है। बचपन से ही बच्चों में अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है, विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व होता है। जीवन का मूल मंत्र अनुशासन का महत्व है। गांधीजी के जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत ही था, वह जीवन में अपना हर कार्य समय के साथ और दिनचर्या का कठोरता के साथ पालन करते थे।
अनुशासन पर निबंध- 250 शब्द
250 शब्दों में Anushasan Ka Mahatva Essay in Hindi इस प्रकार हैः
अनुशासन होना हर मनुष्य के जीवन में बहुत ही आवश्यक है, अनुशासित व्यक्ति के अंदर आज्ञाकारी का गुण होता है। अनुशासन पूरे जीवन में बहुत ही महत्व का होता है और साथ ही सभी कार्य में इसकी जरूरत होना बहुत ही आवश्यक है। किसी भी प्रोजेक्ट पर गंभीरता से कार्य करने के लिए अनुशासन होना बहुत ही आवश्यक है अगर हम अपने वरिष्ठ की आज्ञा का पालन नहीं करते तो, हमें आगे चलकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है और हमें असफलता प्राप्त होती है। यही वजह है कि Anushasan ka Mahatva हर मनुष्य की जिंदगी में होना जरूरी है।
जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए , अपने माता-पिता एवं शिक्षकों के आदेशों का पालन करना चाहिए। अनुशासन हमारे रोज की दिनचर्या में होना जरूरी है, सुबह जल्दी उठ कर, पानी पीकर, शौचालय जाना चाहिए फिर दांतों को साफ करके, नहाना चाहिए और नाश्ता करने के बाद स्कूल जाना चाहिए। साथ ही हमारे आसपास स्वच्छता और सफाई रखना बहुत ही आवश्यक है।
अपने माता पिता को हमेशा खुश रखना चाहिए, उन्हें कभी भी दुखी नहीं करना चाहिए। हमें स्कूल में समय पर पहुंच जाना चाहिए और अच्छे से यूनिफॉर्म और तैयार होकर जाना चाहिए।नियम के अनुसार प्रार्थना करना चाहिए और शिक्षकों की आज्ञा का पालन करना बहुत ही आवश्यक है। अपना कार्य खुद ही करना चाहिए और पाठ को अच्छे से याद रखना और लिखावट साफ सुथरी होना बहुत ही अनिवार्य है।
हमें हमेशा चौकीदार ,शिक्षक या हमसे बड़े लोगों के साथ अच्छे से बर्ताव करना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। हमेशा सफल इंसान बनने के लिए अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है। जिस व्यक्ति में अनुशासन है वह जीवन में कहीं सारी उपलब्धियां प्राप्त कर सकता है।
Anushasan Ka Mahatva Par Anuchchhed (500 शब्द)
अनुशासन का महत्व पर अनुच्छेद इस प्रकार लिख सकते हैंः
प्रस्तावना
अनुशासन दो शब्दों का मिश्रण करके बना है: अनुशासन। अनुशासन का यह अर्थ है कि अपने विकास के लिए कुछ नियम निर्धारित करना और उस नियम का रोजाना पालन करना चाहे वह नियम हमें पसंद हो या ना हो इसी को हम अनुशासन का महत्व कहते हैं। अगर हम अपने जीवन में नियम के साथ नहीं जीते या चलते तो हमारा जीवन व्यर्थ है।
अनुशासन का महत्व
अनुशासन का महत्व सीखने के लिए सबसे बड़ा उदाहरण प्रकृति का है। सूरज हमेशा अपने नियमित समय पर उगता है और नियमित समय पर ही ढल जाता है, नदियां हमेशा बहती ही रहती है, गर्मी, ठंड या बारिश का मौसम अपने नियमित समय पर आते हैं और चले जाते हैं। अगर किसी भी रूप से प्रकृति अपने काम नियमित ना करें तो मानव जाति का विनाश हो जाएगा, ठीक उसी तरह हमें भी अपने काम नियमित रूप से ना करे तो हमारा जीवन भी पतन हो जाएगा। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो समाज में रहता है और समाज में रहने के लिए अनुशासन का होना बहुत ही आवश्यक है।
हमारे जीवन में अनुशासन का महत्व
अनुशासन हमारे जीवन में सफलता की सीढ़ी है जिस पर चढ़कर या उसके सहारे हम कोई भी मंजिल को अपने जीवन में हासिल कर सकते हैं। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व है क्योंकि यह वह पड़ाव है जहां वह जीवन में सब कुछ सीखते हैं, छोटू से प्यार, बड़ों का आदर, समय का पक्का ,नियम का पालन करना आदि। अनुशासन सबसे ज्यादा खेलों में अपनी भूमिका अदा करता है। अनुशासन कई लोगों के जीवन में जन्म से ही मौजूद होता है और कुछ लोगों को अपने जीवन में उत्पन्न करना पड़ता है। अनुशासन दो प्रकार का होता है : पहला जो किसी के जीवन में जबरदस्ती से लाया जाए और लोगों पर धक्के से थोपा जाए यह बाहरी अनुशासन कहलाता है।
सफल होने के लिए अनुशासन का महत्व
दूसरा अनुशासन वह है जो लोगों में पहले से ही विद्यमान होता है वह आंतरिक अनुशासन कहलाता है। जब भी कोई भी मनुष्य अपना हर काम समय से करेगा और व्यवस्थित तरीके से करेगा तो सफलता अवश्य उसके कदम चूमेगी और वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है। अनुशासन में रहने के तरीके: अपना किसी भी प्रकार के कार्य को आज ही पूरा करने का प्रयास करें कल करने के लिए ना छोड़े, रोज सही और अच्छी दिनचर्या का पालन करने का प्रयास करें, जीवन का हर एक कार्य पूरी लगन और मेहनत के साथ करें, बुरे कामों और बुरी आदतों से दूर रहे।
निष्कर्ष
अनुशासन के बिना मनुष्य का जीवन आधा अधूरा है, जीवन में सफलता की कुंजी अनुशासन है। अनुशासन के आधार पर हमारे जीवन का भविष्य तय होता है। अनुशासन की राह पर चलना थोड़ा मुश्किल होता है ,परंतु इस राह पर चलने के बाद मिलने वाला फल बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा होता है। अनुशासन बहुत डोर है, जो हमें आकाश की बुलंदियों को छूने के लिए मदद करती है।
अनुशासन का महत्व (Anushasan Ka Mahatva) रूपरेखा सहित
संकेत बिंदु
- प्रस्तावना
- विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व
- अनुशासन का खत्म होना
- अनुशासनहीनता के कारण एवं निवारण के उपाय
- उपसंहार
प्रस्तावना- अनुशासन शब्द दो शब्दों के मेल से बना है, जो है ‘अनु’ तथा ‘शासन’ । अनु का अर्थ-“अनुगमन करना” तथा शासन का अर्थ- “अर्थव्यवस्था या नियम” होता है। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि अनुशासन का अर्थ है नियम व्यवस्था का अनुसरण करना। अर्थात प्रशासनिक एवं राज सामाजिक व्यवस्था के विपरीत काम ना करना जिससे समाज में रहने वाले लोगों को कष्ट की प्राप्ति हो। पूरे ब्रह्मांड और प्रकृति का कण-कण अनुशासन से बाधित है तो मनुष्य अनुशासन बद्य क्यों नहीं रह सकता है।
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व- विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत अधिक महत्व है। विद्यार्थियों से समाज बहुत अधिक अपेक्षा रखता है क्योंकि वे देश का भविष्य है। यह न केवल स्वयं का बल्कि अपने परिवार समाज तथा राष्ट्रीय का गौरव होते हैं। Anushasan ka Mahatva विद्यार्थी जीवन में मनमाना काम करने की इच्छा सफलता प्राप्ति में रुकावट होती है। इस समय में विद्यार्जन के साथ-साथ अच्छे संस्कार अपने तथा विकसित होने पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बिना अनुशासन के विद्यार्थी जीवन सफल नहीं हो सकता है।
अनुशासन का खत्म होना- प्राचीन काल में गुरुकुल में विद्या प्राप्ति की परंपरा थी । वहां विद्यार्थी गुरुकुल के नियम का दृढ़ता से पालन करते थे। उनकी शिक्षा और दीक्षा का प्रमुख आधार अनुशासन ही था, परंतु आज के समय में विद्यार्थी उन शिष्यों की तरह नहीं है। Anushasan ka Mahatva आज के विद्यार्थी में सहनशीलता, आज्ञाकारिता, श्रद्धा और अनुशासन की बहुत अधिक कमी है। छात्रों में अहंकार तथा निरंकुशता का भाव उत्पन्न होता जा रहा है। उनकी बातों में शिष्टता और विनम्रता दोनों भाव विलुप्त होते जा रहे हैं । इसलिए आज के विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करने की अधिक आवश्यकता है।
अनुशासनहीनता के कारण एवं निवारण के उपाय- अनुशासनहीनता का मुख्य कारण यह है कि अरुचिकर पाठ्यक्रम, पुरानी घिसी पिटी शिक्षा प्रणाली, भविष्य के प्रति अनिश्चितता, अध्यापक तथा अभिभावक का विद्यार्थी के प्रति व्यवहार। यदि हमें इस समस्या से निपटना है Anushasan ka Mahatvaतो हमें इन कारणों को गहनता से समझने की आवश्यकता है। ताकि विद्यार्थियों या बच्चों में अध्यापक और अभिभावक के प्रति आदर भाव उत्पन्न हो सके। इसके अतिरिक्त शिक्षा प्रणाली को रुचिकर बनाने की आवश्यकता है। विद्यार्थी के साथ-साथ अध्यापक तथा उनके माता-पिता को भी अनुशासन को अपनाने की आवश्यकता है।
उपसंहार- आज का विद्यार्थी या बच्चे अपने भविष्य के प्रति जागरूक हैं। बस यह आवश्यक है कि वहां अपने मनमानी इच्छा को नियंत्रण में रखें यदि वह ऐसा करता है तो वह समाज में, परिवार में तथा और लोगों के बीच एक अच्छी छवि छोड़ता है।
अनुशासन के लाभ क्या हैं?
अनुशासन हमें सही और सुखी जीवन जीने की कला को सिखाता है। अनुशासन के जरिए हमें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम किरदार निभाता है। इसके जरिए हम टाइम मैनेजमेंट, हेल्दी लाइफ स्टाइल और नौतिका आदि सीख सकते हैं। इसके साथ ही कुछ मुख्य अनुशासन के लाभ इस प्रकार हैंः Anushasan ka Mahatva
- अनुशासन हमारे व्यक्तित्व विकास में सहायक होता है।
- इससे हम तनाव मुक्त रहते हैं।
- इससे हमें समय के महत्व का पता चलता है जिससे हम अपने समय को सही तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अनुशासन में रहने पर हम अपने साथ-साथ अपने समाज का भी विकास करते हैं।
- अनुशासन में रहने पर हमें खुशहाली की प्राप्ति होती है।
- यदि हम अनुशासन में रहते हैं तो हमें देखने वाले लोगों में भी अनुशासन अपनाने की इच्छा होती है।
- अनुशासन में रहने पर हमें शिक्षा की सही प्राप्ति होती है।
- अनुशासन से हमें उज्जवल भविष्य की प्राप्ति होती है।
FAQs
अनुशासन का महत्व क्या है?
अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द निर्मित हुआ है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है।vAnushasan ka Mahatva
विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है?
अनुशासन विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रति एकाग्र और प्रेरित होना सिखाता है। एक अनुशासित विद्यार्थी अपनी शैक्षणिक संस्थान का गौरव होता है। समाज द्वारा हमेशा उनका सम्मान किया जाता है। अनुशासन के बिना हम एक सफल छात्र की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।Anushasan ka Mahatva
अनुशासन हमें क्या सिखाता है?
अनुशासित व्यक्ति ही समाज और जीवन में सम्मान पाते हैं। अनुशासन हमें वक्त की कदर करना सिखाता है, जो कि लक्ष्य प्राप्ति और राष्ट्र निर्माण व विकास में सहायक है। जीवन में प्रारम्भ से ही अनुशासन का विशेष महत्व रहा है। आज के संदर्भ में यदि बात करें तो अनुशासन सभी के जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिए। Anushasan ka Mahatva
अनुशासन के कितने प्रकार हैं?
अनुशासन के प्रकार यह होते हैं – शिक्षक द्वारा आरोपित अनुशासन, समूह-आरोपित अनुशासन, आत्मारोपित अनुशासन, कार्य आरोपित अनुशासन, प्राकृतिक अनुशासन आदि। Anushasan ka Mahatva
अनुशासन का प्रभाव क्या है?
अनुशासन चीजों को आसान बनाता है और हमारे जीवन में सफलता लाता है।
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